दृष्टिकोण (View Point)
- Yugal Jain
- May 30, 2020
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रक़ीब से पूछते हैं,
कि तेरी रज़ा क्या है ।
जानते हैं यह मगर कि,
इसकी सज़ा क्या है ।।
जाती है कश्ती जिधर, नहीं जाते यह उधर,
कहते हैं कि हवा क्या है ।।
किस्मत नहीं मोहताज इन हथेलियों की,
इन मुठियों में लखिरों के सिवा रखा क्या है ।।
हैं सभी गलत यहां इस महफ़िल में,
कोई मगर बताए कि रवा क्या है ।।
नहीं मालूम तुम्हे अगर कुछ भी,
भूजो ज़रा कि ख़ुदा क्या है ।।
और यही है दस्तूर अगर कोई,
तो ज़िन्दगी का फ़िर मज़ा क्या है ।।
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